“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

विजय का नगाड़ा

विजय का नगाड़ा

महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, महाराज युधिष्ठिर राजा बन चुके थे, अपने चारों छोटे भाइयों की सहायता से वह राजकाज चला रहे थे प्रजा की भलाई के लिए पाँचों भाई मिलजुल कर जुटे रहते,जो कोई दीन- दुखी फरियाद लेकर आता उसकी हर प्रकार से सहायता की जाती ।
एक दिन युद्धिष्ठिर् राजभवन में बैठे एक मंत्री से बातचीत कर रहे थे, किसी समस्या पर गहन विचार चल रहा था, तभी एक व्यक्ति वहाँ पहुँचा। कुछ दुष्टों ने उस व्यक्ति को सताया था,उन्होंने व्यक्ति की गाय उससे छीन ली थी,वह व्यक्ति महाराज युधिष्ठिर के पास फरियाद लेकर आया था। मंत्री जी के साथ बातचीत में व्यस्त होने के कारण महाराज युधिष्ठिर उस व्यक्ति की बात नहीं सुन पाए,उन्होंने व्यक्ति से बाहर इन्तजार करने के लिए कहा, व्यक्ति मंत्रणा भवन के बाहर रूक कर महाराज युधिष्ठिर का इंतज़ार करने लगा। मंत्री से बातचीत समाप्त करने के बाद महाराज ने व्यक्ति को अन्दर बुलाना चाहा, लेकिन तभी वहाँ किसी अन्य देश का दूत पहुँच गया,महाराज फिर बातचीत में उलझ गए। इस तरह एक के बाद एक कई महानुभावों से महाराज युधिष्ठिर ने बातचीत की। अंत में सभी को निबटाकर जब महाराज भवन से बाहर आये तो उन्होंने व्यक्ति को इंतज़ार करते पाया , काफी थके होने के कारण महाराज युधिष्ठिर ने उस व्यक्ति से कहा, “अब तो मैं काफी थक गया हूँ| आप कल सुबह आइयेगा। आपकी हर संभव सहायता की जाएगी।” इतना कहकर महाराज अपने विश्राम करने वाले भवन की ओर बढ़ गए।
व्यक्ति को महाराज युधिष्ठिर के व्यवहार से बहुत निराशा हुई। वह दुखी मन से अपने घर की ओर लौटने लगा।अभी वह मुड़ा ही था की उसकी मुलाकात महाराज युधिष्ठिर के छोटे भाई भीम से हो गई,भीम ने व्यक्ति से उसकी परेशानी का कारण पूछा, व्यक्ति ने भीम को सारी बात बता दी, साथ ही वह भी बता दिया की महाराज ने उसे अगले दिन आने के लिए कहा है। व्यक्ति की बात सुकर भीम बहुत दुखी हुआ। उसे महाराज युधिष्ठिर के व्यवहार से भी बहुत निराशा हुई। उसने मन ही मन कुछ सोचा और फिर द्वारपाल को जाकर आज्ञा दी, “सैनिकों से कहो की विजय के अवसर पर बजाये जाने वाले नगाड़े बजाएं,” आज्ञा का पालन हुआ । सभी द्वारों पर तैनात सैनिकों ने विजय के अवसर पर बजाये जाने वाले नगाड़े बजाने शुरू कर दी।महाराज युधिष्ठिर ने भी नगाड़ों की आवाज़ सुनी, उन्हें बड़ी हैरानी हुई, नगाड़े क्यों बजाये जा रहे हैं, यह जानने के लिए वह अपने विश्राम कक्ष से बाहर आये। कक्ष से बाहर निकलते ही उनका सामना भीम से हो गया। उन्होंने भीम से पूछा, “विजय के अवसर पर बजाये जाने वाले नगाड़े क्यों बजाये जा रहे हैं? हमारी सेनाओं ने किसी शत्रु पर विजय प्राप्त की है?”
भीम ने नम्रता से उत्तर दिया, “महाराज, हमारी सेनाओं ने तो किसी शत्रु पर विजय प्राप्त नहीं की।”
“तो फिर ये नगाड़े क्यों बज रहें हैं?महाराज ने हैरान होते हुए पूछा ।
“क्योंकि पता चला है की महाराज युधिष्ठिर ने काल पर विजय प्राप्त कर ली है ।” भीम ने उत्तर दिया|
भीम की बात सुनकर महाराज की हैरानी और बढ़ गई, उन्होंने फिर पुछा, “मैंने काल पर विजय प्राप्त कर ली है,आखिर तुम कहना क्या चाहते हो?
भीम ने महाराज की आँखों में देखते हुए कहा, “महाराज, अभी कुछ देर पहले आपने एक व्यक्ति से कहा था की वह आपको कल मिले, इससे साफ़ जाहिर है की आपको पता है की आज आपकी मृत्यु नहीं हो सकती, आज काल आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह सुनने के बाद मैंने सोचा की अवश्य आपने काल पर विजय प्राप्त कर ली होगी, नहीं तो आप उस व्यक्ति को कल मिलने के लिए न कहते। यह सोच कर मैंने विजय के अवसर पर बजाये जाने वाले नगाड़े बजने की आज्ञा दी थी।”
भीम की बात सुनकर महाराज युधिष्ठिर की आँखे खुल गई, उन्हें अपनी भूल का पता लग चुका था।तभी उन्हें पीछे खड़ा व्यक्ति दिखाई दे गया,उन्होंने उसकी बात सुनकर एकदम उसकी सहायता का आवश्यक प्रबंध करवा दिया ।

शिक्षा- हमारे अंदर एक बहुत बुरी आदत है काम को टाल देने की। अपनी इसी आदत के कारण हम कभी-कभी अपने बनते हुए कामों को बिगाड़ बैठते हैं, जिससे हमारी बड़ी भारी हानि हो जाती है और कभी-कभी तो अपनी मंजिल पर पहुँचते-पहुँचते रह जाते हैं। जो काम हमें आज करने हैं, वह कल भी उतने ही महत्व के रहेंगे, यह नहीं कहा जा सकता। परिस्थितियाँ क्षण-क्षण पर बदलती रहती हैं और उनके अनुसार पिछड़े हुए कार्यों का कोई महत्व नहीं रह जाता। संभव है आज किसी कार्य के सम्मुख आते ही हम उसे ताजा जोश में कर डालें, परन्तु कल पर टालते ही उस कार्य के प्रति दिलचस्पी भी कम हो सकती है और इस प्रकार वह कार्य सदा के लिए ही टल सकता है।जिस व्यक्ति में टालमटोल का यह रोग लग जाता है वह अपने जीवन में अनेक काम नहीं कर पाता। बल्कि उसके सब काम अधूरे पड़े रह जाते हैं। यद्यपि ऐसे लोग हर समय व्यस्त रहते दिखाई पड़ते हैं, फिर भी अपना काम पूरा नहीं कर पाते। कामों का बोझ उनके सिर पर लदा रहता है और वे उससे डरते हुए कामों को धकेलने की कोशिश करते रहते हैं। टालने की आदत वाला मनुष्य परिस्थितियों का शिकार भी हो सकता है। स्वास्थ्य का खराब होना, मस्तिष्क की निर्बलता, आर्थिक या दूसरे प्रकार की चिन्ता आदि कारण भी कार्य को टालना पड़ता है।
अतः जहाँ तक हो सके आज के काम को कल पर कभी न छोड़ें क्यूंकि वर्तमान क्षण ही हमारा है।

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post